मारो,
ऐसो भाग्य कहां
कि कान्हा तुम्हें पाऊं
कान्हा तुम्हें पाऊं
कि तुमरे मन को भाऊं
छोड़ आई जो गलियां
बाबुल की, फिर, फिर से
वहां किस मुंह जाऊं
वहां किस मुंह जाऊं
कि किसे अपनी व्यथा सुनाऊं
पा जाऊं तुम्हें मीरा जैसी
हे प्रिये! तुम्हीं कहो
ऐसा कौन रूप बनाऊं
ऐसा कौन रूप बनाऊं
कि कैसे तुम्हें मनाऊं
मेरो ऐसो भाग्य कहां
कि कान्हा तुमको पाऊं
कान्हा तुमको पाऊं
कि तुमरे मन को भाऊं
गीत मेरी हो गाई हुई
और तेरी हो बंशी-धुन
हो जाऐ मिलके एक
ऐसे किस सुर में गाऊं
ऐसे किस सुर में गाऊं
कि कैसे पांव थिरकाऊं
भितर जगी जो प्यास
जन्मों की
तेरे मिलन को पिया
उसे किस भांति मिटाऊं
उसे किस भांति मिटाऊं
कि क्या क्या तुम्हे बताऊं
मेरो ऐसो भाग्य कहां
जो में कान्हा को पाऊं
---- Heejna Sumaiya
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