Monday, April 6, 2015

शोर न मचाना



धीरे से आना प्रिये,
कि हौले से आना
दिलवालों की बस्ती है,
यहां शोर न मचाना
कि जलते है,
यहां भी दिल,
दिलों के मिलने से
कि मिलती हैं,
खुशियां किसी को,
किसी के गिरने सेे
ना!
यूं दूर ना जाना प्रिये,
कि यूं ना हमें सताना
दिलवालों की बस्ती है,
यहां शोर न मचाना
जो बिछड़ जाएं,
हम-तुम कभी तो
लोग जश्‍न मनाएंगे
कुछ दिन ही सही,
पर! गली गली बस,
यही किस्सा दोहराएंगे
अबकी जो आना प्रिये,
कि फिर कभी न जाना
दिलवालों की बस्ती है,
बस! यहां शोर न मचाना
---- Heejna Sumaiya

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