Wednesday, April 22, 2015

हाँ तुम्हे खोये नही है हम !


जागते तो
वो हैं 
जो सोते हैं
बरसो से
सोये नही हैं हम
हाँ,  हाँ तुम्हे
खोये नही है हम !

मुंद जाये
पलकें तो क्या
निश्चेत हो जाये
जिस्म तो क्या
गिरी हो जो
लौकिक अश्रुधार
किन्तु कभी
रोये नही है हम
हाँ,  हाँ तुम्हे
खोये नही है हम !


मुझमे जो
तुम हो समाहित
की रोम रोम में
जो तुम हो आभासित
की मिले जो
अवांछित फल
वो बृक्ष
बोए नही हैं हम
हां हाँ तुम्हे
खोये नही हैं हम !

---- हीजना सुमैया 

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