राधे कृष्णा की
ज्योति अलौकिक तीनों
लोक में छाये रही हैं
ज्योति अलौकिक तीनों
लोक में छाये रही हैं
भक्ति विवश एक
प्रेम पुजारिन फिर भी
दीप जलाये रही हैं
प्रेम पुजारिन फिर भी
दीप जलाये रही हैं
कृष्णा को
गोकुल से राधा को
बरसाने से
बुलाये रही हैं
गोकुल से राधा को
बरसाने से
बुलाये रही हैं
दोनों करो स्वीकार
कृपा कर जोगन
आरती गाये रही हैं
कृपा कर जोगन
आरती गाये रही हैं
भोर भये ती
सांज ढले तक
सेवा कौन
इतने महमारो
सांज ढले तक
सेवा कौन
इतने महमारो
स्नान कराये
वो वस्त्र ओढ़ाए
वो भोग लगाये
वो लागत प्यारों
वो वस्त्र ओढ़ाए
वो भोग लगाये
वो लागत प्यारों
कबसे निहारत
आपकी ओर
की आप हमारी
ओर निहारो
आपकी ओर
की आप हमारी
ओर निहारो
राधे कृष्णा
हमारे धाम को
जानी वृन्दावन
धाम पधारों
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जय श्री राम
हमारे धाम को
जानी वृन्दावन
धाम पधारों
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जय श्री राम
---- हीजना सुमैया
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