वो जो तुम में
हम में करार था,
तेरी सांसो का भी
कुछ खुमार था,
सिर्फ तुम ही न थे :
वहां मैं भी थी ;
याद आती हैं मुझे,
तेरे सिने में
टूट कर खोना,
सांसे मांगती हैं तुझे,
तेरे बाँहो की
वोही गर्म कोना,
कि वो जो रातो का
हर पल इन्तज़ार था,
रोम रोम में भरी
बस तेरे लिए प्यार था,
सिर्फ तुम्ही न थे :
वहां मैं भी थी ;
गीत गाती हु प्रिये,
की धुन कोई
बना तो ना दो,
मित पाती हूँ प्रिये,
जिस तरह तुम्हे
तुम भी तो कहो,
कि वो जो जवानी का
मधुर रफ़्तार था,
दीवानगी को बेबस
दिल मेरा हर बार था,
सिर्फ तुम्ही न थे :
वहां मैं भी थी ;
:
:
:
:
:
:
:
:
:
:
:
.........हीजना_सुमैया
No comments:
Post a Comment