जब भी,
जलाऊ मैं दीपक
जाने क्यों...............
बाती के बदले
मैं जलती हुँ,
तेल के बदले
मैं गलती हुँ ;
तुम हमारे प्रिये हो,
तुमसे मेरा वज़ूद है,
रहुँ तुम्हारे बाहों तले,
फिर तो कांटे भी कुबूल है,
अभी नही हो
साथ मेरे पर
कभी तो होंगे.........
गिर के भी मैं
हर बार संभलती हुँ,
पतझड़ के बाद भी
फूलती और फलती हुँ,
जब भी,
जलाऊ मैं दीपक
जाने क्यूँ..............
बाती के बदले
मैं जलती हुँ,
तेल के बदले
मैं गलती हुँ;
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# मेरे_माखनचोर
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