वो जो
दिख जाते हो
कभी खिड़की से,
वो जो
आँखों में
भरे वही मुस्कान,
की तेरी
चौड़ी छाती
जैसे वीरो की,
की तेरी
भोली शक्ल
जैसे हीरो की,
बार-बार हर बार
हमे इलज़ाम देने वाले......
क्या तुम
कम जुल्म ढाते हो,
जो चैन के साथ-साथ
मेरी नींद भी चुरा ले
जाते हो............
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#मेरे_माखनचोर
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