Tuesday, May 5, 2015

बार-बार हर बार हमे इलज़ाम देने वाले......


वो जो
दिख जाते हो
कभी खिड़की से,

वो जो
आँखों में
भरे वही मुस्कान,

की तेरी
चौड़ी छाती
जैसे वीरो की,

की तेरी
भोली शक्ल
जैसे हीरो की,

बार-बार हर बार
हमे इलज़ाम देने वाले......

क्या तुम
कम जुल्म ढाते हो,
जो चैन के साथ-साथ
मेरी नींद भी चुरा ले
जाते हो............
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#मेरे_माखनचोर

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